सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राजभाषा ही राष्ट्र की प्रगति का प्रवाह है

भारती व यूरोपीय भाषाओं का हम वैज्ञानिक अध्ययन करें तो,हम पाएंगे कि यूरोपीय कुल की भाषाओं को बोलने वाले व भारतीय कुल की भाषाओं को बोलने वालों किसी न किसी युग में एक ही स्थान पर रहे होंगे। भाषा किसी भी प्राणी सशक्त माध्यम भर नही हैं संसार के सभी प्राणी अपने भाषाओं की अभिव्यक्ति किसी न किसी भाषा के के माध्यम से करते हैं।मनुष्य अपने भावों को बोलकर या लिखकर प्रकट करता है,भाषा केवल कानों का ही नहीं,अपितु आंखों का भी विषय है भाषा मनुष्य के शिक्षा एवं ज्ञान का प्रमुख आधार है । भाषा के द्वारा ही मनुष्य के शारीरिक बौद्धिक व व्यक्तित्व का विकास होता है । भाषा कोई पैतृक संपत्ति नहीं है भाषा एक अर्जित संपत्ति है । हिंदी हिंदू हिंदुस्तान यह सब शब्द संस्कृत के नहीं है, हिंदी भाषा का जन्म उत्तर भारत में हुआ पर इसका नामकरण ईरानियों तथा भारत के मुसलमानों के द्वारा किया गया । वस्तुत हिंदी किसी संप्रदाय या धर्म की भाषा नहीं है इसपर सबका बराबर का अधिकार है l किसी भाषा का साहित्य अपने समाज का अंग ही नहीं वरन उसका स्मारक है । क्योंकि इतिहास और समाज के बदल जाने पर भी स्मारक नहीं बदला करते

अभिव्यक्ति की आजादी और न्यायलय की अवमानना

प्रशांत भूषण को 31 तारीख को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में दोषी करार दिया गया! 3 सदस्य न्यायालय पीठ ने जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस वीआर गवाई जस्टिस कृष्ण मुरारी शामिल थे ने प्रशांत भूषण को अदालत ने कोर्ट का अवमानना का दोषी पाया तथा उन्हें सज़ा एक रुपए की धन राशि की सजा दी गई अगर यह रकम 15 सितंबर तक प्रशांत भूषण द्वारा नहीं चुकाया जाता है! उनको 3 माह का कारावास तथा 3 साल तक के लिए वकालत से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा क्या था मामला- प्रशांत भूषण ने दो ट्वीट किए थे पहला ट्वीट 31 जून 2020 वह दूसरा टूट 19 जून 2020 को किया था जिसमें उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट करते हुए चीफ जस्टिस CGI पर टिप्पणी की थी और चार पूर्व जजों पर भी भस्टाचार का आरोप लगाया था ! इस पर 9 जुलाई महक महेश्वरी सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना का रीट लगाया था भूषण की मुश्किलें तब बड़ी जब कोर्ट ने 21 जुलाई को ट्वीट पर स्वत संज्ञान ले लिया भूषण को अवमानना का दोषी पाया गया व उनको न्यायलय अवमानना अधिनियम 19971 के तहत सज़ा दिया गया न्यायलय अवमानना अधिनियम 19971 क्या है - न्यायालय का अवमानना अधि